साध्वी प्रज्ञा को लेकर यौन आकर्षण के चलते हुई संघ प्रचारक सुनील जोशी की हत्या
आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की 2007 में हुई हत्या की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मामले में सनसनीखेज खुलासा किया है। एनआईए का कहना है कि जोशी की हत्या की एक वजह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के प्रति उनका यौन आकर्षण हो सकता है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में रिपोर्ट छापी है। रिपोर्ट के मुताबिक, जांच एजेंसी मामले में अगले हफ्ते चार्जशीट दाखिल करने वाली है और इसमें साध्वी का नाम बतौर आरोपी शामिल किया जा सकता है। मध्य प्रदेश की देवास पुलिस बतौर आरोपी इस मामले में साध्वी का नाम पहले ही दर्ज कर चुकी है। प्रज्ञा ठाकुर 2008 के मालेगांव बम धमाकों की भी आरोपी हैं।
जोशी को लेकर चिंतित थीं प्रज्ञा
एनआईए का दावा है कि जोशी का प्रज्ञा ठाकुर के प्रति यौन आकर्षण था और यह उनकी हत्या का एक वजह बना। उधर, प्रज्ञा को इस बात की चिंता थी कि आतंकवादी वारदात को अंजाम देने की लिए जो योजनाएं बनाई गई थीं, कहीं जोशी उनका खुलासा कर सकते थे। एनआईए मामले में जो चार्टशीट दाखिल करने वाली है उसमें इस बात का जिक्र हो सकता है कि अजमेर ब्लास्ट के बारे में जोशी द्वारा जानकारियों को सार्वजनिक करने से रोकने के लिए प्रज्ञा ने आनंदराज कटारिया को करीब 10 दिनों तक अपने घर में रखा था। गौरतलब है कि देवास पुलिस ने कटारिया को आरोपी बनाया था, लेकिन जोशी मर्डर मामले में एनआईए की अंतिम लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं किया गया था।
एनआईए का दावा है कि जोशी का प्रज्ञा ठाकुर के प्रति यौन आकर्षण था और यह उनकी हत्या का एक वजह बना। उधर, प्रज्ञा को इस बात की चिंता थी कि आतंकवादी वारदात को अंजाम देने की लिए जो योजनाएं बनाई गई थीं, कहीं जोशी उनका खुलासा कर सकते थे। एनआईए मामले में जो चार्टशीट दाखिल करने वाली है उसमें इस बात का जिक्र हो सकता है कि अजमेर ब्लास्ट के बारे में जोशी द्वारा जानकारियों को सार्वजनिक करने से रोकने के लिए प्रज्ञा ने आनंदराज कटारिया को करीब 10 दिनों तक अपने घर में रखा था। गौरतलब है कि देवास पुलिस ने कटारिया को आरोपी बनाया था, लेकिन जोशी मर्डर मामले में एनआईए की अंतिम लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं किया गया था।
पांच लोगों को आरोपी बनाएगी एनआईए
जोशी मर्डर केस की जांच में 2011 के बाद तब बदलाव आया जब मालेगांव ब्लास्ट मामले में मध्य प्रदेश के महू में कुछ गिरफ्तारियां हुईं और देवास पुलिस ने पहली चार्जशीट दाखिल की। एनआईए गिरफ्तार किए गए चार लोगों- राजेंद्र चौधरी, लोकेश शर्मा, जीतेंद्र शर्मा (भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता) और बलबीर सिंह को अब प्रज्ञा ठाकुर के साथ जोशी हत्याकांड मामले में आरोपी बनाएगी। जांच एजेंसी का दावा है कि राजेंद्र और लोकेश ने ही 29 दिसंबर 2007 की रात जोशी का कत्ल किया था। जीतेंद्र शर्मा ने इसके लिए पिस्तौल मुहैया कराई थी और बलबीर सिंह ने इसे छिपाया था।
जोशी मर्डर केस की जांच में 2011 के बाद तब बदलाव आया जब मालेगांव ब्लास्ट मामले में मध्य प्रदेश के महू में कुछ गिरफ्तारियां हुईं और देवास पुलिस ने पहली चार्जशीट दाखिल की। एनआईए गिरफ्तार किए गए चार लोगों- राजेंद्र चौधरी, लोकेश शर्मा, जीतेंद्र शर्मा (भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता) और बलबीर सिंह को अब प्रज्ञा ठाकुर के साथ जोशी हत्याकांड मामले में आरोपी बनाएगी। जांच एजेंसी का दावा है कि राजेंद्र और लोकेश ने ही 29 दिसंबर 2007 की रात जोशी का कत्ल किया था। जीतेंद्र शर्मा ने इसके लिए पिस्तौल मुहैया कराई थी और बलबीर सिंह ने इसे छिपाया था।
रची जा रही थी हमले की साजिश
एनआई का यह भी दावा है कि लोकेश, राजेंद्र और जोशी एक बड़ी साजिश रच रहे थे और मुसलमानों को निशाना बनाकर ज्यादा से ज्यादा हमले करने की फिराक में थे।
एनआई का यह भी दावा है कि लोकेश, राजेंद्र और जोशी एक बड़ी साजिश रच रहे थे और मुसलमानों को निशाना बनाकर ज्यादा से ज्यादा हमले करने की फिराक में थे।
संघ प्रचारक सुनील जोशी की हत्या 29 दिसंबर 2007 को कर दी गई थी।
सुनील जोशी आरएसएस के प्रचारक थे। जोशी पर समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद और मालेगांव सहित करीब आठ बम धमाकों को अंजाम देने का आरोप था। मध्य प्रदेश के देवास में 29 दिसंबर 2007 की रात कथित तौर पर हिंदू संगठनों से जुड़े अपने ही लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। समझौता एक्सप्रेस बम धमाकों के आरोपी स्वामी असीमानंद के हवाले से मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कहा था कि इस ट्रेन ब्लास्ट को अंजाम देने में जोशी की अहम भूमिका थी। राजस्थान एटीएस के मुताबिक सुनील जोशी अजमेर धमाकों के प्रमुख सूत्रधार थे और वह इन धमाकों के आरोप में गिरफ़्तार स्वामी असीमानंद के सतत संपर्क में थे।
जोशी पर यह भी आरोप थे कि उन्हें बम बनाने में महारत हासिल थी और वह एक खतरनाक अपराधी थे। रिपोर्टों के मुताबिक, उन पर दोहरे हत्याकांड का आरोप था, लेकिन सरकारी संरक्षण की वजह से वह बचते रहे। उनका नाम सबसे पहले कथित तौर पर 2003 में इंदौर के निनामा हत्याकांड में आया था। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता प्यार सिंह निनामा और उनके भतीजे दिनेश निनामा की इंदौर जिले के मानपुर खुर्दी स्थित उनके घर में कर दी गई थी। तब जोशी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी निकला था।